ब्रेस्टफीडिंग के वक्त 'ब्रिक्सिंग' यानी मोबाइल देखना हो सकता है खतरनाक

ब्रेस्टफीडिंग के वक्त 'ब्रिक्सिंग' यानी मोबाइल का यूज कितना सही, जानें ये जरूरी बातें


ब्रेस्टफीडिंग मां के लिए एक सुखद अनुभव होता है। ये बच्चे और मां के बीच के बाउंडेशन को बढ़ता है, लेकिन टेक युग में ये बाउंडेशन को तोड़ने का काम मोबाइल कर रहा है। इसे समझने की जरूरत है।


 ये बात भी सच है कि आफ्टर डिलेवरी मां के पास अपने शिशु को संभालने, खुद को फिट रखने और तमाम अन्य कामों के कारण अपने परिचितों या रिश्तेदारों से संपर्क का वक्त नहीं मिलता। न ही वह सोशल मीडिया या अन्य अपडेट से अवगत रह पाती हैं। ऐसे में मां अपने मोबाइल का इस्तेमाल उस समय करती है जब शिशु या तो सो रहा होता है या ब्रेस्टफीड कर रहा होता है। 


इसे 'ब्रिक्सिंग' का नाम दिया गया है। लेकिन ये बात समझने की जरूरत है कि ब्रेस्टफीड के समय मोबाइल का ये यूज कितना सही है। हालांकि ये बात पहली ही नजर में समझ आती है कि मोबाइल से निकलने वाली किरणें सही नहीं होती और इससे न केवल मां को बल्कि शिशु को भी नुकसान हो सकता है। लेकिन इसके अलावा भी कई परेशानियां हो सकती हैं।


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बाउंडेशन को करते हैं इफेक्ट : स्टडीज बताती हैं कि छह महीने तक मां और शिशु के बीच ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आंखों ही आंखों में एक संबंध बनता है और ये आईकांटेक्ट दोनों के बीच के बाउंउेशन मजबूत बनता है। ऐसे में अगर मां ब्रेस्टफीड के दौरान अगर मोबाइल देखती है तो इससे ये रिलेशन काफी इफेक्ट होता है। अगर मां और बच्चें के बीच ये कांटेक्ट बना रहे तो इससे भविष्य में बच्चे के दिमागी तेजी के लिए बहुत जरूरी होता है।


बच्चे को बनाता है सेंसेटिव : शिशु ब्रेस्टफीड के समय भी अपनी आंखों के जरिये मां को देखता रहता है। लेकिन जब वह यह देखता है कि मां का ध्यान उसपर नहीं कहीं और है तो वह अपनी ओर ध्यान खींचने के लिए कुछ एक्टिविटी करने लगता है। हालांकि भले ही ये एक्टिविटी आपको प्यारी लगे लेकिन ये उसके लिए सही नहीं। क्योंकि इससे वह सेंसेटिव बन रहा होता है। बच्चा अपने पैरेंट्स का ध्यान खींचने के लिए कई प्रयोग करने लगता है। क्योंकि उसे ऐसा लगता है कि उसपर ध्यान नहीं दिया जा रहा है और इससे उसके अंदर तनाव वाले हार्मोन्स एक्टिव होने लगते हैं। इससे उनमें घबराहट और रोने की समस्या बढ़ जाती है।


 


मिस करते हैं आप उसकी मासूमियत और सही खुराक : ब्रेस्टिंग के वक्त बच्चा की कई एक्टिविटीज और उसकी मासूमियत मां न केवल मिस कर देती है बल्कि वह सही तरीके से दूध पी रहा है या नहीं ये भी नहीं देख पाती। इतना ही नहीं कई बार ब्रेस्टफीडिंग भी पर्याप्त तरीके से बच्चा नहीं कर पाता है। ऐसे में उसकी खुराक अधूरी रह जाती है।


फीडिंग पैटर्न गलत हो जाता है : बच्चें को ब्रेस्टफीड के लिए गोद में लेने का भी एक सटीक तरीका होता है अगर वह सही न हो तो इससे मां और बच्चे दोनों को ही दिक्कत होती है। कई बार गलत पोजिशन में फीड करने से बच्चे के कान में दूध चला जाता है और ये फंगल इंफेक्शन की वजह बन सकता है। मां के ब्रेस्ट का शेप बिगड़ जाता है। कई बार बच्चा फीडिंग के लिए काफी मेहनत करने लगता है क्योंकि आपका ध्यान मोबाइल पर होता है। कई बार बच्चा पूरी खुराक लेने से पहले ही सो जाता है, लेकिन अगर आपका ध्यान उसपर होगा तो आप उसे जगा कर पूरा फीड कराएंगी।


इसलिए मां को ये ध्यान देना होगा कि मोबाइल का प्रयोग शिशु को संभालते या ब्रेस्टफीड के वक्त न करें। क्योंकि इससे मां और बच्चे का संबंध ही नहीं सेहत भी खराब होती है।