प्रयागराज। अब ट्रेन के कोच में लाइट, पंखे और वातानुकूलित संयंत्र, लोकोमोटिव (इंजन) की बिजली से चलेंगे। जिससे ईंधन की बचत के साथ प्रदूषण भी नियंत्रित होगा। इसके लिए उत्तर मध्य रेलवे ने हेड ऑन जनरेशन (एचओजी) सिस्टम ईजाद किया है जिसको 41 इंजनों में स्थापित कर परीक्षण भी किया जा चुका है।
प्रयागराज, हमसफर, श्रमशक्ति, शताब्दी आदि ट्रेनों यह व्यवस्था हुई
उत्तर मध्य रेलवे ने इसका समाधान तलाशते हुए हेड ऑन जनरेशन सिस्टम का ईजाद किया है, जिसमें इलेक्ट्रिक इंजनों को ओवरहेड इलेक्ट्रिक वायर (ओएचई) से मिल रहे 25 हजार वोल्ट टै्रक्शन एनर्जी के एक हिस्से को ट्रांसफार्मर और कनवर्टर के माध्यम से 750 वोल्ट में परिवर्तित करके कोचों में लगे पावर कपलर की सहायता से कोचों में विद्युत आपूर्ति की जाएगी जिससे कोचों में लगे लाइट, पंखे और एयर कंडीशन आदि संचालित होंगे।
उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी,-अजीत कुमार सिंह, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि हेड ऑन जनरेशन सिस्टम से काफी लाभ होगा। उत्तर मध्य रेलवे क्षेत्र में प्रयागराज, हमसफर, श्रमशक्ति, शताब्दी आदि ट्रेनों के रेकों में यह व्यवस्था हो गई है। इस खोज को भारतीय रेल के 20 उत्कृष्ट कार्यों में चुना गया है। अब इस प्रणाली का इस्तेमाल पूरी भारतीय रेल में किया जाएगा।
पार्सल के लिए अतिरिक्त स्थान
कोच को इंजन से विद्युत आपूर्ति देने के बाद ट्रेन के दोनों छोर पर लगे दोनों जनरेटर कारों (डीजी सेट) को हटाया जा सकता है और उनकी जगह एक पार्सल यान लगाया जा सकता है। दूसरे पावर कार सह गार्ड वैन में रिक्त हुए स्थान का उपयोग दिव्यांगजन के बैठने के लिए किया जा सकेगा।
कम होगा प्रदूषण, बचेगा ईंधन
ट्रेन की बोगियों को इंजन से पावर सप्लाई देने से कई फायदे होंगे। एक तो प्रदूषण कम होगा वहीं डीजल के रूप में ईंधन की काफी बचत होगी। उत्तर मध्य रेलवे की 17 एलएचबी रेकों में 16 रेक एचओजी तकनीक से युक्त हो चुकी हैं। जिनमें डीजी सेटों के कम प्रयोग से 75000 लीटर डीजल की बचत हो रही है।
टेस्ट स्विच का भी प्रावधान
एचओजी सिस्टम का परीक्षण तभी संभव है जब इंजन और कोच एक साथ जोड़े जाएं। लेकिन दोनों का मेंटीनेंस अलग-अलग किए जाने से समस्या आ रही थी। इस कमी को दूर करने के लिए इंजन में 'टेस्ट स्विच' लगाया गया जिससे इंजन में एचओजी कनवर्टर के परीक्षण के लिए उसे रेक से जोडऩे की जरूरत नहीं पड़ती है।