मोदी जी ने आज कच्छ की बात कही।  इसे जरूर समझिये.....

 


उदाहरण कच्छ का है...
कच्छ जो कभी गुजरात का सबसे पिछड़ा जिला हुआ करता था..... गुजरात ही नहीं .....पूरे भारत का सबसे पिछड़ा जिला.... माना जाता था। 
यहां पलायन की दर..... पूरे भारत में सबसे ज्यादा थी।
क्योंकि कच्छ में पानी नहीं था.... पूरा रेगिस्तान था।
कच्छ में ना कोई डेवलपमेंट था.... ना कोई टूरिज्म।..... 
कच्छ के सभी गांव एकदम उजाड़ हो चुके थे ...... 


कच्छ में सबसे भीषण प्राकृतिक आपदा 1990 के चक्रवात से करीब 18000 लोगों का मौत हुई थी.....। 
उसके बाद भीषण भूकंप आया। .....
इस भूकंप ने भी कच्छ को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया था।
उसमें भी कई हजार लोग मरे थे। ....
लेकिन नरेंद्र मोदी जी ने कभी कोई "फ्री स्कीम" नहीं चलाई
मोदी का यह सपना था कि .... हम इंफ्रास्ट्रक्चर ऐसा बना दें कि .....किसी को सरकार पर निर्भर होने की जरूरत ना हो। 


उन्होंने नर्मदा योजना को अपनी सबसे मुख्य योजना बनाकर काम किया..... 
तत्कालीन मनमोहन सरकार के खिलाफ वह 5 दिनों तक अनशन पर भी बैठे थे।..... 
उसके बाद ही मनमोहन सरकार ने...... बांध की ऊंचाई बढ़ाने की अनुमति दी थी।..... 
नर्मदा कैनाल का नेटवर्क बनाकर.... गुजरात के कच्छ को  पानी से हरा भरा कर दिया गया.... 
अहमदाबाद से कच्छ के बीच में जो नर्मदा के पानी की पाइप लाइन जाती है ....वह सड़क के दोनों तरफ है।...  
उसे सीमेंट के पाइप से बनाया गया है .....और वह पाइप इतने बड़े हैं कि..... आप उसमें दो कार..... लेकर जा सकते हैं।..... 
पूरे कच्छ के हर गांव में नर्मदा का पानी पहुंच गया है। ...... नर्मदा का पानी पहुंचने से वाटर लेवल भी ऊंचा हुआ  और जब थोड़ी बहुत हरियाली हुई ....  बरसात भी अच्छी होने लगी....क्योंकि जहां पर हरियाली होती है वहीं बारिश भी होती है। 


नरेंद्र मोदी ने कच्छ के सफेद रण  ..... जो पूरी तरह से उजाड़ एरिया था उसे एक टूरिस्ट स्पॉट बना दिया ...... 
अमिताभ बच्चन ....को ब्रांड एंबेसडर लेकर के उन्होंने "कच्छ नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा" जैसा टैगलाइन बनाया..... 
और आज कच्छ में काफ़ी टूरिस्ट भी आते हैं। .....
उसके बाद  कच्छ में उद्योग धंधे लगाने के लिए उन्होंने.... 
15 साल तक कच्छ में लगी इंडस्ट्रीज को एक्साइज माफ किया..... 
जिसकी वजह से कच्छ में बहुत सारे कारखाने लगे।..... 
नतीजा यह हुआ कि जो लोग तीन या चार पीढ़ी पहले कच्छ छोड़कर दूसरे राज्यों में सेटल हो गए थे ..... वह अब वापस आकर कच्छ में रहने लगे। 


कच्छ के विकास में सबसे बड़ा रोल निभाया मुंद्रा पोर्ट ने..... 
मुंद्रा पोर्ट की वजह से कच्छ का काफी विकास हुआ। .... 
हर रोज हजारों ट्रक आते जाते रहते हैं... जिससे ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री से लेकर दूसरे कई इंडस्ट्रीज होटल इत्यादि पनप गए।


कह सकते हैं कि कच्छ विश्व के लिए एक ग्रोथ मॉडल बन चुका है। 


यदि आप कच्छ में घूमेंगे.....अब आपको सड़कों के किनारे बहुत से लहलहाते फॉर्म नजर आएंगे।..... 
और कच्छ में वैज्ञानिक तरीके से खजूर से लेकर .... अनार पपीता टमाटर इत्यादि की.... खूब खेती होती है।..... 
और कच्छ के कुछ इलाकों में तो केसर आम ..... की इतनी बंपर पैदावार होती है जो विदेश भेजी जाती है। .....
यदि आप कभी भुज एयरपोर्ट पर जाएंगे .....तब आप कार्गो में यह देखकर हैरान हो जाएंगे कि हर रोज सैकड़ों टन कृषि उपज फूल इत्यादि ....विदेश भेजे जा रहे हैं।


 मैं फिर से यही कहता हूं कि.... 
मुफ्त और सब्सिडी ..... वामपंथियों का एक मॉडल है.... 
जिसमें जनता को सरकार पर आश्रित बना दिया जाए .... 
ताकि जनता एकदम से पंगु हो जाए ......और पूरी तरह से सरकार पर आश्रित रहे...... वह अपने पैरों पर कभी खड़ी ना हो सके..... और उसके अंदर कभी स्वाभिमान ना आ सके। ....
लेकिन सलाम है गुजरात की जनता को.....  जिसने कभी मुफ्तखोरी नहीं चुनी ..... हमेशा अपना स्वाभिमान चुना।


कच्छ के 10 एकड़ में आशापुरा फॉर्म  है।..... 
यह पूरा एरिया कभी रेगिस्तान हुआ करता था।.... 
जिगर भाई ठक्कर अहमदाबाद में रहते थे.... लेकिन जैसे ही नर्मदा का पानी कच्छ पहुंचा.... वह अपने गांव चले गए और.... अपनी 10 एकड़ की रेगिस्तानी जमीन में पॉली एग्रो विधि से .....तथा ड्रिप इरिगेशन इत्यादि के द्वारा .... खेती करना शुरू कर दिया। ....
आज उनके फॉर्म को देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं।.... और ऐसे ही कच्छ में सैकड़ों फॉर्म हैं।


    अब वक्त आ गया है कि हर राज्य मुफ्त के रकम बांटने बन्द कर कच्छ मॉडल पर उन्नति कर...... देशी बाजार का डंका पूरे विश्व में फहराए।😍😍