*नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र ने गुरुवार को चेतावनी दी कि कोरोनावायरस के प्रकोप से एक बड़े वैश्विक मानसिक स्वास्थ्य संकट का खतरा पैदा हो गया है। संयुक्त राष्ट्र ने महामारी द्वारा पैदा की गई मनोवैज्ञानिक समस्याओं को दूर करने के लिए तत्काल उपाय करने के लिये अपील की।*
यूएन ने एक नीति वक्तव्य में कहा कि संकट के पहले महीनों के दौरान शारीरिक स्वास्थ्य की रक्षा करना मुख्य चिंता का विषय रहा है, जबकि यह वैश्विक आबादी में बड़े पैमाने पर मानसिक तनाव भी बढ़ा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने संक्षिप्त वीडियो संदेश में चेतावनी देते हुए कहा, "मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की दशकों से उपेक्षा और कमज़ोरी के बाद कोविड-19 महामारी अब परिवारों और समुदायों में अतिरिक्त मानसिक तनाव पैदा करके उनको मार रही है।"
उन्होंने कहा कि महामारी को नियंत्रण में लाये जाने के बाद भी दु: ख, चिंता और अवसाद लोगों और समुदायों को प्रभावित करते रहेंगे। जिनको विशेष रूप से कोरोनावायरस से खतरा माना जाता है, ऐसे बुजुर्ग और पहले से गंभीर बीमारी वाले लोगों में संक्रमण के खतरे को लेकर तनाव बढ़ गया है।
संयुक्त राष्ट्र के वक्तव्य में उन लोगों के मानसिक तनाव को उजागर किया गया जो कठोर लॉकडाउन के कारण अपनी आजीविका गंवा चुके हैं या अपने प्रियजनों से दूर फंसे हुए हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानसिक स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख देवोरा केस्टेल ने एक आभासी ब्रीफिंग में कहा, "हम जानते हैं कि भय, अनिश्चितता और आर्थिक उथल-पुथल की ये सभी मौजूदा परिस्थितियां मनोवैज्ञानिक संकट पैदा कर सकती हैं।"
केस्टेल ने चिकित्सा कर्मचारियों के बीच आत्महत्याओं में वृद्धि का संकेत देने वाली समाचार रिपोर्टों की ओर इशारा करते हुए कहा कि स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारी और रोगियों को संभालने वाली पहली पंक्ति के कर्मचारी जबरदस्त तनाव के बीच काम कर रहे हैं। ऐसे लोगों को विशेष रूप से खतरा है।