गोलोक विहारी राय की नई कविता -"आदमी मरने के बाद"

आदमी
मरने के बाद
कुछ नहीं सोचता।


आदमी
मरने के बाद
कुछ नहीं बोलता।


कुछ नहीं सोचने
और कुछ नहीं बोलने पर
आदमी
मर जाता है।


वाक़ई
आज विपक्ष के पास 
न कुछ
सोचने के लिए है 
और न 
बोलने के लिए है


गोलोक विहारी राय 


राष्ट्रीय महामंत्री


(राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच)