साँप को मारकर बनाई जाती है ज़हरीली शराब?
सहारनपुर यूपी और उत्तराखंड में ज़हरीली शराब से हुई मौंतो के बाद हड़कम्प मचा हुआ है लेकिन क्या आपको पता है कि "अवैध शराब को तैयार करने के लिए यूरिया, आयोडेक्स , ऑक्सोटोसिन का इस्तमाल किया जाता है" और शराब को ज़्यादा नशीली बनाने के लिए इसमें सांप और छिपकली तक मिला दी जाती है यह बात आपको ज़्यादा चौकाने वाली ज़रूर है लेकिन इसमें ऑक्सिटॉसिन के इंजेक्शन और दर्द में इस्तमाल की जाने वाली आयोडेक्स भी इस्तमाल की जाती है।
*आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में ज़हरीली शराब पीने की वजह से हुई मौतों ने शासन-प्रशासन के होश फाख्ता कर दिए है* जानकार बताते है कि अवैध शराब को तैयार करने के लिए यूरिया ,आयोडेक्स , ऑक्सिटॉसिन ,का इस्तमाल किया जाता है !
इतना ही नही शराब को ज़्यादा नशीली बनाने के लिए इसमें सांप और छिपकली तक मिला दी जाती है। कई बार अवैध शराब बनाने के लिए डीज़ल ,मोबिल ऑयल , रंग रोगन के खाली बैरल और पुरानी डांडियों (बर्तन) का इस्तमाल किया जाता है ! आबकारी विभाग के सूत्रो के मुताबिक ,कच्ची शराब बनाने के लिए पुराना गुड़ और शीरे के साथ महुआ दुर्गंध आने तक रखा जाता है ! बताते है कि जितना पुराना और दुर्गंध वाला गुड़ या शीरा होगा उसमे उतनी ही अधिक और नशीली शराब तैयार होगी।
*शराब तस्कर गंदे नाले के पानी का करते है इस्तमाल
अवैध शराब बनाने वाले कोल्हू या गुड़ मंडी से गुड़ और शीरा खरीदते है ! इसके बाद अवैध शराब तस्कर घने जंगल में नदी - नाले और तालाब के किनारे भट्ठी लगाकर शराब बनाते है ! कई घंटे भट्ठी में आग जलाकर शीरे और गुड़ से शराब को निचोड़ा जाता है ! इस दौरान वे नाले , तालाब या गड्ढो में भरे गंदे पानी का भी इस्तमाल करने से परहेज़ नही करते है ! जानकारों का कहना है कि शराब को अधिक नशीली बनाने के लिए भैंस का दूध निकालने के लिए इस्तमाल होने वाले ऑक्सिटॉसिन के इंजेक्शन , दर्द में इस्तमाल की जाने वाली आयोडेक्स भी मिलाई जाती है।
कैसे होती है मौत.............?*
सीएमओ मेरठ डॉक्टर राजकुमार का कहना है कि अधिक मिथाइल अल्कोहल शराब के साथ शरीर में जाने से ब्रेन डेड हो जाता है ! इसके बाद लगातार बेहोशी रहती है ! सहारनपुर से मेरठ आने वाले ज़्यादातर मरीज़ भी बेहोश थे और उनका ब्रेन डेड था ! जबकि कुछ लोगों की आँतो में सुराख थे उन्होने बताया कि इन मरीज़ो की आँतो में सुराख होकर इन्फेक्शन फैला है और खून ठंडा हो जाने के कारण शरीर की नसों ने रक्तचाप दिल तक नही पहुँचने दिया जिससे मरीज़ बात करते करते मर गये ।