प्रतापगढ़, विश्वनाथ गंज,जिला संवाददाता-फटी चटाई और गन्दगी में बैठने को मजबूर, प्राथमिक विद्यालय के बच्चे
प्राथमिक विद्यालयों की हालत किसी से छिपी नहीं है कहीं बच्चे नहीं तो कहीं शिक्षक नहीं है एक तरफ से सरकारी विद्यालयों में जिस तरह से अव्यवस्थाएँ व्याप्त है उससे तो यही लगता है कि सर्व शिक्षा अभियान को केवल पलीता ही लगाया जा रहा है शिक्षा के मंदिर में अफसरों की लीपापोती के कारण हालत बद से बदतर होते जा रहे हैं इसकी बानगी बड़ौत के ही प्राथमिक विद्यालय पर नजर डालकर देखी जा सकती है अधिकांश प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों के बैठने की व्यवस्था नहीं है कहीं पानी नहीं तो कहीं बिजली नहीं है कहीं शिक्षक नहीं तो कहीं बच्चे नहीं हैं और कुछ की हालत तो ऐसे हैं कि वहां इनमें से अधिकांश चीजें ही नहीं 12 प्राथमिक विद्यालय तो ऐसे भी हैं जहां दर्जनों बच्चों को एक अकेला शिक्षा की संभाल रहा है
*ऐसे ही मामला सामने आया-*👇
शनिदेव कुसफरा गांव में स्थित प्राइमरी पाठशाला इस विद्यालय में चटाई पर बैठे हुए थे चटाई क्या थी दर्जनों बड़े-बड़े छेद थे शिक्षक ने बताया कि अभी बच्चों को चटाई नहीं मिली है फटी चटाई पर बैठकर करते हैं बच्चे पढ़ाई प्राथमिक विद्यालय तो ऐसे भी हैं जिनका चटाई सड़ गल चुका है जिस कारण बच्चे जमीन पर बैठकर अक्षर ज्ञान करने को मजबूर हैं और कमरे में झाड़ू भी नहीं लगा था ,गंदगी का साम्राज्य स्थापित है।
मिड डे मील भी नहीं कर पाता ग्रसित सरकारी विद्यालयों में मिड डे मील के रूप में बच्चों को मीनू के अनुसार प्रतिदिन भोजन उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान है लेकिन इसके बावजूद बच्चों का व आकर्षण सरकारी स्कूलों की ओर नहीं है जो होना चाहिए हालांकि मीनू के अनुसार कभी भी विद्यालयों में भोजन नहीं परोसा जाता तो कैसे जाने बच्चे आज के दिन क्या बनेगा।
*हर वर्ष घट रही संख्या-*
केवल कागजों में संचालित हो रही सुविधाओं का ही परिणाम है की सरकारी स्कूलों में लगातार बच्चों अभिभावकों को मोह भंग हो रहा है प्रतिवर्ष प्राइमरी प्राथमिक,माध्यमिक विद्यालयों से बच्चों की संख्या कम हो जाती है इस विद्यालय में बच्चों की संख्या कुल 59 है पर शिक्षक के अनुसार 43 बच्चे मौजूद थे। और जो बच्चे है भी तो उनको सही से A,B, C,D भी नहीं आती और सही ढंग से ट्रेस भी नहीं पहने रहते हैं ।इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि विद्यालय के प्रधानाचार्य विकास चंद्र सरोज सहित सारे स्टाफ बैठकर कुर्सी तोड़ते हैं और बच्चे बैग बंद करके मौज करते रहते हैं।
*---जिला संवाददाता--*
*_अवध की दुनिया समाचार पत्र_*