जौनपुर/मछलीशहर:
लेखपालो की लापरवाही से नही दर्ज हो रहा विरासत का मामला
जौनपुर/मछलीशहर
मछलीशहर तहसील में वरासत दर्ज नहीं होने से तमाम खेतिहर प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना का लाभ लेने के अर्ह नहीं हो पा रहे हैं।
वे अपना पंजीकरण ही नहीं करा पा रहे हैं। मृतकों के वारिस अपना नाम दर्ज कराने के लिए तहसील का चक्कर लगातार लगा रहे हैं।
रोज तहसील में हजार की संख्या में ऐेसे काश्तकार आते हैं जिनके परिजनों की मृत्यु के बाद उनकी वरासत दर्ज हुई नही है।
ऐसे लोगो के प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ पाने के लिए पंजीकरण न करा पाना एक सवाल हैं।
नियमानुसार राजस्व कर्मी के अपने क्षेत्र के किसानों की मृत्यु के बाद जांच कर 15 दिनों के अंदर खतौनी में वारिसों का नाम दर्ज कर देना चाहिए। तहसील कार्यालय का आलम यह है कि अविवादित वरासत भी कानूनगो और लेखपाल निर्धारित तिथि के भीतर नहीं दर्ज कर रहे हैं। चौकीखुर्द गांव निवासी नैना पांडेय के वारिस नरायन दत्त आदि का नाम दर्ज नहीं हुआ है। इसी गांव के श्याम शंकर उपाध्याय की भी मृत्यु हो चुकी लेकिन वारिसान प्रवेश,आदित्य आदि तहसील के चक्कर काट रहे हैं । जुड़ऊपुर गांव के निरहू पटेल की पत्नी का नाम खतौनी में नहीं दर्ज किया जा सका है।
सिऊरा के देवीलाल के पुत्र रामअकबाल नाम दर्ज कराने के लिए तहसील के चक्कर काटने को विवश हैं। । कुढ़ा गांव निवासी सीतारा पत्नी कासीम की मृत्यु 6 सितम्बर 2010 को हुई उनके वारिस मजहर, कमाल का नाम अभी तक नहीं दर्ज हुआ है। इसमें कमाल की भी मौत हो चुकी है और उनकी जगह उनके पुत्र वकार ,अब्दुल का नाम दर्ज कराने का आवेदन दे चुके हैं। इसी गांव के बिहारी के लड़के तेज बहादुर, रामधनी तहसील के चक्कर लगा रहे हैं जबकि एसडीएम तक आदेश दे चुके हैं। इसी गांव के राम राज,राम लखन,लालजी जैसे आधा दर्जन लोंगों के वारिसों का नाम आज तक खतौनी में नहीं दर्ज हुआ उपजिलाधिकारी जेएन सचान का कहना है कि जिसके वरासत का प्रकरण लम्बित है उसे पूरा करके उसके वारिस को योजना का लाभ दूसरे चरण में दिलाया जाएगा। बहरहाल उक्त योजना में मृतकों का भी योजना का हकदार माना जा रहा है।रियाजुल