🌹बदहाली की दांस्ता बयां करती चण्डिका गुफा
🌹बैष्णों देवी की भातिं ही है , कमस्यार घाटी की यह गुफा* *🌹यहां शयन करती है, आदि शक्ति
🌹तीर्थाटन विकास के दावे यहां हवा हवाई श्री राम के पूर्वज राजा दिलीप से जुड़ी है, यहां की गाथा* *🌹गुफा का निर्माण कब व कैसे सब अज्ञात🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
कमस्यार घाटी / बागेश्वर /राजवीर सिंह तोमर
उत्तराखण्ड़ के सभी महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों व तीर्थस्थलों को तीर्थाटन विकास योजना के तहत विकसित कर स्थानीय रोजगार को पंख लगानें की बातें राज्य गठन के बाद से ही की जाती रही है।
बारी बारी से राज्य की सत्ता में काबिज होती आयी भाजपा व काग्रेसं दोनों पार्टियों की सरकारों ने ऐसे दावे करने में कोई कोर कसर नही छोड़ी परन्तु इस पर्वतीय राज्य का कितना दुर्भाग्य है, कि आज लगभग उन्नीश वर्षों में भी इस दिशा में सिर्फ अौर सिर्फ कोरी बयानबाजियां ही होती रही है। परिणाम स्वरुप राज्य भर में तीर्थाटन विकास की असीम सभांवनाओं से भरपूर ऐसे एक नहीं हजारों धार्मिक स्थल पूरी तरह उपेक्षित पड़े है।
धार्मिक,पौराणिक व सांस्कृतिक रुप से समृद्व ऐसा ही एक पौराणिक धार्मिक स्थल है। चण्डिका गुफा इस गुफा को देखनें पर सहज में ही वैष्णों देवी की गुफा याद आती है। उत्तराखंड की वैष्णो देवी के नाम से भी यदि इस गुफा को कहा जाए तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि चंडीका गुफा क्षेत्र का वातावरण सौंदर्य व रहस्य की अद्भुत खान है।
गुमनामी के साए में गुम मां जगदंबा का यह स्थल कब प्रकाश में आएगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन यदि यह स्थल तीर्थाटन की दृष्टि से विकसित किया जाए भक्तों को इस स्थान का सुरम्य वातावरण वैष्णो देवी से कम नहीं लगेगा।कमस्यार घाटी हिमालयी भूभाग में तीर्थस्थल व देवालयों की काफी लम्बी श्रृखंला है। इन्हीं श्रृंखलाओं में जनपद बागेश्वर के कमस्यार घाटी में स्थित मां चण्डिका की गुफा सदियों से पूज्यनीय रही है हालांकि वर्तमान समय में यह गुफा गुमनामी के साये में गुम है।
खाती गांव के निकट इस गुफा का पुरातन महत्व पुराणों में विस्तार के साथ मिलता है। धर्मज्ञ महर्षि वेद व्यास जी ने पुराणों में इस स्थान का
बहुत ही सुंदर वर्णन किया
है