आनंद मैरिज एक्ट 1909 क्या है
ये केसे अलग हे
हिन्दू मैरिज एक्ट 1955 से आनंद से अलग क्या हैं ?
हिन्दू धर्म में जब भी किसी की शादी होती है तो अग्नि के चारों ओर #_सात_फेरे लिए जाते हैं
लेकिन जब सिख धर्म में किसी की भी शादी होती है तो वह श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की परिक्रमा करके #_चार_फेरे लेते हैं और अपनी शादी करते हैं ! सिखों की इसी शादी को आनंद कारज भी कहते हैं !
पहले सिखों को अपनी शादी का पंजीकरण कराने के लिए उनका अपना कोई कानून नहीं था जिसकी वजह से उन्हें कानूनी तौर पर अपनी शादी को हिन्दू मैरिज एक्ट 1955 के तहत पंजीकरण कराना पड़ता था ! जबकि दोनों ही शादियों को करने का तरीका बिल्कुल अलग है !
कब की गयी आनंद मैरिज एक्ट की मांग
यह सिखों द्वारा उठायी गयी 110 साल पुरानी मांग है ! इस एक्ट को पास कराने के लिए सिखों को काफी संघर्ष भी करना पड़ा है क्योंकि हिन्दू मैरिज एक्ट 1955 के तहत वह अपनी शादी का पंजीकरण तो करा लेते थे
लेकिन इससे उनकी पहचान पर सवाल खड़ा हो जाता था क्योंकि दोनों शादियों को करने का तरीका बिलकुल अलग है ! उनकी शादी तो सिख रीति – रिवाजों के साथ होती है लेकिन कानूनी तौर पर वह हिन्दू शादी ही कहलाती है ! यही वजह है कि सिख लोग लंबे समय से आनंद मैरिज एक्ट 1909की मांग कर रहें हैं !
आनंद मैरिज एक्ट_1909
की मांग उन्नीसवीं सदी के आखिरी में सिखों द्वारा की गयी और अंग्रेजी शासन के दौर में उसे कानून की शक्ल भी दी गयी लेकिन इस पर कोई काम नहीं हुआ !
आजादी के साठ साल बाद आनंद मैरिज एक्ट_1909 कब हुआ लागू
द मैरिज एक्ट 1909 का असल वजूद सामने आया
आनंद मैरिज एक्ट_1909 क्या है
हिन्दू_मैरिज_एक्ट_1955_से ये केसे अलग हे
आनंद कारज क्या हैं
हिन्दू धर्म में जब भी किसी की शादी होती है तो अग्नि के चारों ओर सात_फेरे लिए जाते हैं
लेकिन जब सिख धर्म में किसी की भी शादी होती है तो वह श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की परिक्रमा करके #_चार_फेरे लेते हैं और अपनी शादी करते हैं ! सिखों की इसी शादी को आनंद कारज भी कहते हैं !
पहले सिखों को अपनी शादी का पंजीकरण कराने के लिए उनका अपना कोई कानून नहीं था जिसकी वजह से उन्हें कानूनी तौर पर अपनी शादी को #_हिन्दू_मैरिज_एक्ट_1955 के तहत पंजीकरण कराना पड़ता था ! जबकि दोनों ही शादियों को करने का तरीका बिल्कुल अलग है !
कब की गयी आनंद मैरिज एक्ट की मांग
यह सिखों द्वारा उठायी गयी 110 साल पुरानी मांग है ! इस एक्ट को पास कराने के लिए सिखों को काफी संघर्ष भी करना पड़ा है क्योंकि हिन्दू मैरिज एक्ट 1955 के तहत वह अपनी शादी का पंजीकरण तो करा लेते थे
लेकिन इससे उनकी पहचान पर सवाल खड़ा हो जाता था क्योंकि दोनों शादियों को करने का तरीका बिलकुल अलग है ! उनकी शादी तो सिख रीति – रिवाजों के साथ होती है लेकिन कानूनी तौर पर वह हिन्दू शादी ही कहलाती है ! यही वजह है कि सिख लोग लंबे समय से आनंद मैरिज एक्ट 1909की मांग कर रहें हैं !
आनंद मैरिज एक्ट 1909
की मांग उन्नीसवीं सदी के आखिरी में सिखों द्वारा की गयी और अंग्रेजी शासन के दौर में उसे कानून की शक्ल भी दी गयी लेकिन इस पर कोई काम नहीं हुआ !
आजादी के साठ साल बाद आनंद मैरिज एक्ट 1909 का असल वजूद सामने आया
जिसे हर राज्य में लागू किया जाना था ! सभी को यही उम्मीद थी कि सबसे पहले पंजाब में तेजी के साथ इस पर काम होगा और आनंद मैरिज एक्ट 1909वहां पर लागू किया जायेगा !
आनंद मैरिज एक्ट कब हुआ लागू ?
आनंद मैरिज एक्ट 1909का कानून सरकार ने वर्ष 2012 में बनाया लेकिन यह पंजाब में दिसंबर 2016 को लागू हुआ !
बांग्लादेश में भी यह एक्ट भारत से पहले लागू किया जा चुका है !
हैरानी की बात तो यह है कि सरकार ने आनंद मैरिज एक्ट 1909 को पास तो कर दिया लेकिन उसने इसके बारे में जनता को बताना ही जरूरी नहीं समझा !
जिसका नतीजा यह है कि आज सिख ही अपने इस हक से अनजान हैं कि इस तरह का कोई एक्ट पास भी हुआ है और इसकी जानकारी न होने की वजह से आज भी उन्हें हिन्दू मैरिज एक्ट 1955 के तहत ही अपनी शादी का पंजीकरण करवाना पड़ रहा है !
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की परिक्रमा के बाद शादी – शुदा जोड़ा अपनी नई जिंदगी शुरू करते हैं !
आनंद मैरिज एक्ट के तहत सिख जोड़ें को सामाजिक और कानूनी तौर पर मान्यता मिल जाती है
दिल्ली सरकार ने आनंद मैरिज एक्ट को दिल्ली में लागू कर दिया है ! सिख धर्म के लोग इस एक्ट के तहत अपनी शादी का पंजीकरण करा सकेंगे ! यह सिख कम्युनिटी की मांग थी कि सिखों का अपना एक मैरिज एक्ट होना चाहिए और हर राज्य को इसे लागू भी करना चाहिए !
इस एक्ट को लागू करने की मांग सबसे पहले वर्ष 1909 में उठायी गयी थी !
दिल्ली से पहले आनंद मैरिज एक्ट 1909
केंद्र सरकार ने सात जून 2012 को आनंद मैरिज एक्ट बनाया था जिसमे सिखों के आनंद कारज ( यानी शादी का पंजीकरण होगा ! इससे पहले सिखों को अपनी शादी का पंजीकरण हिन्दू मैरिज एक्ट1955) में ही करना पड़ता था
#_आनंद_मैरिज_एक्ट_से_फायदा
आनंद मैरिज एक्ट के लागू होने से सिखों को यह फायदा होगा कि अगर उन्होंने आनंद कारज के जरिये अपनी शादी की है तो उन्हें आनंद मैरिज एक्ट का ही सर्टिफिकेट मिलेगा !
इससे पहले आनंद कारज करने पर उन्हें जो सर्टिफिकेट मिलता था वह था हिन्दू मैरिज एक्ट 1955
जिससे यह होता था कि कोई भी सिख व्यक्ति अपनी शादी तो सिख मर्यादा में करता था लेकिन उसे सर्टिफिकेट हिन्दू मैरिज एक्ट 1955 का मिलता था जिसकी वजह से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था !
विदेश जाने की दशा में सिखों को कई बार दिक्कतें आती थी !
जैसे_कि :- यदि वह विदेश जाने के लिए वीज़ा अप्लाई करते थे, नौकरी के लिए अप्लाई करते थे या कहीं पर भी जहां उन्हें यह साबित करना पड़ता था कि वह पति – पत्नी हैं तो वहां पर वह एक समस्या का कारण बन जाता था
क्योंकि उनके पासपोर्ट या बाकी जगहों पर तो उनका धर्म सिख लिखा होता था और उन्हें शादी का जो सर्टिफिकेट मिलता था उसमे हिन्दू मैरिज एक्ट 1955लिखा होता था !
इसी कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए जो सिख व्यक्ति श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की हाजिरी में सिख परंपराओं के साथ शादी करेंगे अब उनको सर्टिफिकेट भी वही मिलेगा जो यह मान्यता देगा की उन्होंने आनंद कारज किया है और आनंद मैरिज एक्ट के तहत ही उनकी शादी हुई है !
द मैरिज एक्ट 1909 का असल वजूद सामने आया
जिसे हर राज्य में लागू किया जाना था ! सभी को यही उम्मीद थी कि सबसे पहले पंजाब में तेजी के साथ इस पर काम होगा और आनंद मैरिज एक्ट 1909वहां पर लागू किया जायेगा !
आनंद मैरिज एक्ट 1909का कानून सरकार ने वर्ष 2012 में बनाया लेकिन यह पंजाब में दिसंबर 2016 को लागू हुआ !
बांग्लादेश में भी यह एक्ट भारत से पहले लागू किया जा चुका है !
हैरानी की बात तो यह है कि सरकार ने आनंद मैरिज एक्ट 1909 को पास तो कर दिया लेकिन उसने इसके बारे में जनता को बताना ही जरूरी नहीं समझा !
जिसका नतीजा यह है कि आज सिख ही अपने इस हक से अनजान हैं कि इस तरह का कोई एक्ट पास भी हुआ है और इसकी जानकारी न होने की वजह से आज भी उन्हें हिन्दू मैरिज एक्ट 1955 के तहत ही अपनी शादी का पंजीकरण करवाना पड़ रहा है !
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की परिक्रमा के बाद शादी – शुदा जोड़ा अपनी नई जिंदगी शुरू करते हैं !
आनंद मैरिज एक्ट के तहत सिख जोड़ें को सामाजिक और कानूनी तौर पर मान्यता मिल जाती है
दिल्ली सरकार ने आनंद मैरिज एक्ट को दिल्ली में लागू कर दिया है ! सिख धर्म के लोग इस एक्ट के तहत अपनी शादी का पंजीकरण करा सकेंगे ! यह सिख कम्युनिटी की मांग थी कि सिखों का अपना एक मैरिज एक्ट होना चाहिए और हर राज्य को इसे लागू भी करना चाहिए !
आनंद मैरिज एक्ट भारत में कहां कहा हुआ लागू
इस एक्ट को लागू करने की मांग सबसे पहले वर्ष 1909 में उठायी गयी थी !
दिल्ली से पहले आनंद मैरिज एक्ट 1909
पंजाब
हरियाणा
हिमाचल प्रदेश
झारखंड
असम
और उत्तरांचल में लागू हो चुका है !
केंद्र सरकार ने सात जून 2012 को आनंद मैरिज एक्ट बनाया था जिसमे सिखों के आनंद कारज ( यानी शादी का पंजीकरण होगा ! इससे पहले सिखों को अपनी शादी का पंजीकरण हिन्दू मैरिज एक्ट1955) में ही करना पड़ता था
#_आनंद_मैरिज_एक्ट_से_फायदा
आनंद मैरिज एक्ट के लागू होने से सिखों को यह फायदा होगा कि अगर उन्होंने आनंद कारज के जरिये अपनी शादी की है तो उन्हें आनंद मैरिज एक्ट का ही सर्टिफिकेट मिलेगा !
इससे पहले आनंद कारज करने पर उन्हें जो सर्टिफिकेट मिलता था वह था हिन्दू मैरिज एक्ट 1955
जिससे यह होता था कि कोई भी सिख व्यक्ति अपनी शादी तो सिख मर्यादा में करता था लेकिन उसे सर्टिफिकेट हिन्दू मैरिज एक्ट 1955 का मिलता था जिसकी वजह से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था !
विदेश जाने की दशा में सिखों को कई बार दिक्कतें आती थी !
#_जैसे_कि :- यदि वह विदेश जाने के लिए वीज़ा अप्लाई करते थे, नौकरी के लिए अप्लाई करते थे या कहीं पर भी जहां उन्हें यह साबित करना पड़ता था कि वह पति – पत्नी हैं तो वहां पर वह एक समस्या का कारण बन जाता था
#_क्योंकि उनके पासपोर्ट या बाकी जगहों पर तो उनका धर्म सिख लिखा होता था और उन्हें शादी का जो सर्टिफिकेट मिलता था उसमे हिन्दू मैरिज एक्ट 1955लिखा होता था !
इसी कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए जो सिख व्यक्ति श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की हाजिरी में सिख परंपराओं के साथ शादी करेंगे अब उनको सर्टिफिकेट भी वही मिलेगा जो यह मान्यता देगा की उन्होंने आनंद कारज किया है और आनंद मैरिज एक्ट के तहत ही उनकी शादी हुई है !