नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव होने में चंद महीने शेष बचे हैं और राम मंदिर का मुद्दा पहले से ही गरम है। इस बीच शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने एलान कर दिया है कि अयोध्या में 21 फरवरी से राम मंदिर की नीव रखी जाएगी। उनके इस बयान ने इस मामले को और तूल दे दिया है। उन्होंने कहा कि वह कोर्ट के किसी आदेश का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं। कुंभ मेले से इतर प्रयागराज में परम धर्म संसद की बैठक के बाद स्वरूपानंद ने कहा कि साधु-संत अब पीछे हटने वाले नहीं हैं और राम मंदिर के लिए वे गोली का सामना करने के लिए भी तैयार हैं।
सूत्रों के मुताबिक स्वामी स्वरूपानंद ने कहा, 'हम 21 फरवरी 2019 को अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखेंगे। हम कोर्ट के किसी आदेश का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट जब तक हाई कोर्ट का फैसला निरस्त नहीं कर देता तब तक कोर्ट के आदेश को लागू किय जा सकता है। वहां रामलला विराजमान हैं, वह जन्मभूमि है।
स्वरूपानंद का यह बयान ऐसे समय आया है जब केंद्र सरकार ने एक दिन पहले यानि मंगलवार को अयोध्या में 1993 में अधिग्रहित 67.703 एकड़ जमीन में से विवादित भूमि जो कि 0.313 एकड़ है, उसे छोड़कर अतिरिक्त जमीन उसके मूल मालिकों को लौटाने की मांग की है। सरकार ने केंद्र सरकार ने अपनी जो अर्जी दायर की है उसमें कहा गया है कि इसमें रामजन्म भूमि न्यास की 42 एकड़ गैर-विवादित भूमि है जो उसे लौटाई जा सकती है।
अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब का कहना है कि कोर्ट में केस है तो इसका फैसला हो जाने दीजिए। सुप्रीम कोर्ट जो फैसला करेगा उसे सभी मानेंगे। सब लोग जानते हैं कि यहां राजनीति की जा रही है। भाजपा की सरकार है। मोदी सरकार यदि दो-चार साल पहले यह कदम उठाती तो इसे ठीक कहा जा सकता था।